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रोवै ऐकली रात जद / सांवर दइया

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<poem>रोवै ऐकली रात जद
औ चांद पूछै बात कद

ऊभी आ आडी जावै
ऐ फेरा लिया सात जद

प्रीत-खेल में सदा जीत
आ मात बोलो मात कद

खरूंट हेठै घाव हर्‌यो
मन भूलै हुई घात कद

थरी म्हारी कही एक
निभसी आपणी बात जद</poem>
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