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पराजित हो गये / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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03:45, 30 नवम्बर 2011
के अरूण हो गात
आ गए श्रीहीन तरूओं
पर
सुकेामल
सुकोमल
पात
छू गए मन
केा
को
बसन्ती
गुनगुनाते दिन
डा० जगदीश व्योम
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