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Kavita Kosh से
एक नन्ही सी नज़्म मेरे सामने आ कर
मुझ से कहती है मेरा हाथ पकड़ कर, मेरे शायर
ला , मेरे कन्धों पे रख दे, में तेरा बोझ उठा लूं.... गुलज़ार