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अजगरी संत्रास / रमेश रंजक

9 bytes removed, 21:27, 7 जनवरी 2012
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तन गई हैं इस क़दर युग मान्यताएँ
घुट गया है गीत का जीवन
अरे, मन !
साँस धीमे ले बढ़ेगी और जकड़न
</poem>
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