भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
लहर-लहर महर तेरी, मधुर-मधुर चलत चाल,
भक्तन के हेत मात, अवतरी अवतार तेरो
स्नान के करें ते मात, पावत सुख धाम है।
चारों फल प्राप्त होय, पूर्ण सब काम है।
कहता शिवदीन राम, पतितन को पावन करत,
क्लेश दु;ख हरत मात, नर्मदे प्रणाम है।
=====================================================