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|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
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लाखों में इंतिख़ाब<ref>चयन </ref> के क़ाबिल<ref>योग्य </ref> बना दिया
जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया
पहले कहाँ ये नाज़ थे, ये इश्वा-ओ-अदा<ref>नाज़-नख़रे</ref>
दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया
</poem>
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