Changes

'{{KKGlobal}} {{Rachna | रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatChhand}} <poem> केते झा...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{Rachna
| रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
|
}}
{{KKCatChhand}}
<poem>
केते झाड़ फूंक भुतवा पुजयाबे को,
इधर उधर ताक- ताक बात बहु बनाते हैं |
जटा लटा धारी केते ताक़ते पराई नारी,
जुवारी बेकार लोग उनके पास जाते हैं |
सत संगत से दूर असंगत में चूर-चूर,
लगे माल हाथ कहीं यें ही वह चाहते हैं |
कहता शिवदीन मुख कारो घर गोपाल हूँ के,
कपटी असंत दुष्ट मोजां उड़ाते हैं |
<poem>
514
edits