भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सदस्य:Adiya

6 bytes added, 12:59, 11 जुलाई 2012
ले चलूँ सब साथी संगी संग अपने,
और हो आँखों में ढेर से सपने|
सपने वो जो पूरे करें मिलजुलकर सारे
पहुंचे वहां जहाँ हो ढेर से तारे|
प्रेम और विश्वास की डोर से बंधकर,
लायें साथ अपने कुछ उमीदें बुनकर|
नन्ही चिड़िया बनकर छूलूं आसमान,
पूरे करलूं छोटे बड़े सब अपने अरमान|
जी यही चाहता है हरदम ...
 
-दीपाली आशीष बोहरा ( Adiya)
44
edits