भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

काळ दर काळ / रामस्वरूप परेश

700 bytes added, 16:11, 17 अक्टूबर 2012
सै ले मूंडो मोड़ |
फळसै ऊबी खेजड़ी
जोवे अै दरसाव |
मिनख बापड़ो हारज्या
नेह चूकगो नैण सूं
तोडै़ बधगी राड़ |
 
कद धरती रै आवसी
उणियारा पर ओप |
सीळो पड़सी कद बता
जबर काळ रो कोप |
 
धोरां हाळा देश में
पड़े कदे नी काळ |
हे मालिक अरदास है
आप करो रिछपाळ |
 
म्हारे मरुधर देस री
राम करो रिछपाल |
आवे नी नेड़े कदे
ताती बळती भाळ |
 
पगां चालती दीसरी
बा बड़कां री बात |
रोटी होज्या रामजी
पेट भरे खा पात |
--------------------------------------
यह लम्बी कविता (दोहे) है, शेष शीघ्र ही पोस्ट कर दी जाएगी |
<poem>
514
edits