|संग्रह=बोली तूं सुरतां / प्रमोद कुमार शर्मा
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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
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नीं लिख सक्यौ
‘‘परेस’’ "परेस" ने खत तीन महिनां सूं
नीं करसक्यौ
कपड़ा रै इस्तरी आज ई !
जीवूं हूं
कै रोजिना
थोड़ौ-थोड़ौ मरूं हूं !
</Poem>