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{{KKRachna
|रचनाकार=उत्तमराव क्षीरसागर
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>खा़मोश हैं
लब
सब ख़ामोश हैं
सब ख़ामोश है
राजा-प्रजा
महल-माढी
घोडा गाडी
सब
सब के सब ख़ामोश हैं ।
काल कहता है कथा
हूँकारी देती है ख़ामोशी
केवल हाँ केवल ख़ामोशी
सुनती है काल-कथा
शेष
ख़ामोश हैं सब
सबके लब ख़ामोश हैं
- 2000 ई0</poem>
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लब
सब ख़ामोश हैं
सब ख़ामोश है
राजा-प्रजा
महल-माढी
घोडा गाडी
सब
सब के सब ख़ामोश हैं ।
काल कहता है कथा
हूँकारी देती है ख़ामोशी
केवल हाँ केवल ख़ामोशी
सुनती है काल-कथा
शेष
ख़ामोश हैं सब
सबके लब ख़ामोश हैं
- 2000 ई0</poem>