भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ामोशी / उत्तमराव क्षीरसागर
Kavita Kosh से
					
										
					
					ख़ामोश हैं 
लब 
सब ख़ामोश हैं 
सब ख़ामोश है 
राजा-प्रजा 
महल-माढी 
घोडा-गाडी 
सब 
सब के सब ख़ामोश हैं । 
काल कहता है कथा 
हूँकारी देती है ख़ामोशी 
केवल हाँ केवल ख़ामोशी 
सुनती है काल-कथा 
शेष 
ख़ामोश हैं सब 
सबके लब ख़ामोश हैं 
                  - 2000 ई0
 
	
	

