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06:45, 7 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लालसिंह दिल
|अनुवादक=सत्यपाल सहगल
|संग्रह=
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<poem>
कोई संस्कृति नहीं
सिर्फ एक भारतीय संस्कृति.
शेष सब नदियाँ
इसी सागर में
आ मिलती हैं.
हाथी के पाँव में
सबके पाँव आ जाते हैं.
डाकुओं की संस्कृति
भारतीय संस्कृति नहीं है.
</poem>
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