भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भारतीय संस्कृति / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई संस्कृति नहीं
सिर्फ एक भारतीय संस्कृति।

शेष सब नदियाँ
इसी सागर में
आ मिलती हैं।

हाथी के पाँव में
सबके पाँव आ जाते हैं।

भारतीय संस्कृति
डाकुओं की संस्कृति नहीं है।

मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल