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{{KKRachna
|रचनाकार=हुसैनी वोहरा
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>मकड़ी रा जाळा ज्यूं
उळझ्योड़ी गळियां
जादूगर रा तास-पत्तां ज्यूं
खड़ी मीनारां
आंख्यां देख चूंधीजै
स्हैर मांय
मिनख कीड़ा ज्यूं रेंगै है
एक-दूजै सूं डरै है
छिपै है सांप ज्यूं बिल मांय
अंधारै मांय निकळै
बड़ै अंधारै मांय
मिनख
मिनख सूं डरै है
बातां सूं कतरावै है
ओ स्हैर
भूत लागै है।</poem>
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|रचनाकार=हुसैनी वोहरा
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
}}
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<Poem>मकड़ी रा जाळा ज्यूं
उळझ्योड़ी गळियां
जादूगर रा तास-पत्तां ज्यूं
खड़ी मीनारां
आंख्यां देख चूंधीजै
स्हैर मांय
मिनख कीड़ा ज्यूं रेंगै है
एक-दूजै सूं डरै है
छिपै है सांप ज्यूं बिल मांय
अंधारै मांय निकळै
बड़ै अंधारै मांय
मिनख
मिनख सूं डरै है
बातां सूं कतरावै है
ओ स्हैर
भूत लागै है।</poem>