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Kavita Kosh से
दमामा बज रहा है, सुनो, आज
बदली के दिन आ गये
आँधी तूफान युग मंे।में
होगा आरम्भ कोई नूतन अध्याय,
उतरा आता है निष्ठुर अन्याय ?
अन्याय को खींच लाते हैं अन्याय के भूत ही,