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|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
एक तरंग ह्रदय में आई,
बुद्ध रूप गौतम ने धारा।
एक तरंग हृदय में आई,
मीरा ने रनिवास बिसरा।
एक तरंग ह्रदय में आई,
जहर पी गई कृष्ण कुमारी।
एक तरंग ह्रदय में आई,
कष्ट सहे गाँधी ने भारी।
करते ऐसे काम वीर जन,
दुनियां रह जाती है दंग।
पर सोचो तो वह है केवल,
एक ह्रदय की एक तरंग।
</poem>
|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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एक तरंग ह्रदय में आई,
बुद्ध रूप गौतम ने धारा।
एक तरंग हृदय में आई,
मीरा ने रनिवास बिसरा।
एक तरंग ह्रदय में आई,
जहर पी गई कृष्ण कुमारी।
एक तरंग ह्रदय में आई,
कष्ट सहे गाँधी ने भारी।
करते ऐसे काम वीर जन,
दुनियां रह जाती है दंग।
पर सोचो तो वह है केवल,
एक ह्रदय की एक तरंग।
</poem>