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पोस्टकार्ड का डर / लीलाधर मंडलोई
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09:30, 12 जुलाई 2015
इतने ग़रीब कि दो जून की रोटी मुहाल
एक-दो नहीं हज़ारों-हज़ार
पीछे छोड़ आए अशक्त
कुटुंब
कुटुम्ब
सीने उनके इस्पात के नहीं
अनिल जनविजय
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