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प्रेम कविताएँ - 9 / मंजरी श्रीवास्तव
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10:55, 20 अगस्त 2015
मौत के इस सफ़ेद मौसम में भी
बीजों-सी दो काली पुतलियाँ अब भी तक रही हैं मेरी राह
जिनमें मौन सम्वाद करने की एक अनोखी
ताकत
ताक़त
है
जो आत्मा की लालसाओं को ज़िन्दा रखती है ।
</poem>
अनिल जनविजय
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