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वो आना चाहती है-7 / अनिल पुष्कर
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08:37, 1 सितम्बर 2015
वो तमाम बेनाम फूलों के इत्र लाई है
फलों के रस और
सब्जबाग़
सब्ज़बाग़
की महक लाई है
वो बेशुमार चीज़ें और इल्म लाई है
वो शौक लाई है नफ़ासत लाई है ताज़ा हवा लाई है
अनिल जनविजय
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