भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कभी कोई था / अनिरुद्ध उमट

852 bytes added, 02:49, 15 नवम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध उमट |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> फ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनिरुद्ध उमट
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
फिर यह हुआ
साँस आखिरी
चढ़ गयी
सीढ़ी एक और

छत बन गयी

मृत होना था जहाँ मुझे
थी चारदीवारी

जाना था जिस मार्ग
कतरन सा वह अब
था लिपटा
गले आँखों पर

थी जल्दी तुम्हे
तुम गए
आकाश बताते छत को
मुझे बुलाते

कभी कोई था बीच हमारे
नहीं माना हमने

कहता है अब
था धोखा वह
ठोस

आखिरी साँस आ गयी
थम गयी

</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits