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थी नगर गली सड़कें सुन्दर,
सब जन के मन चित चाव रहा,
गुलाब जल सब जगह सुगंधित,
चन्दन का छिड़काव रहा |
दीवार चमकती महलों की,
मुख दिखलाई देता था,