गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कैसे कह दूँ, जिसे दिल में / तारा सिंह
1 byte removed
,
16:52, 7 मई 2008
आँखों में रचाया तो है, मगर इसकी दरकार नहीं है<br><br>
जिसकी एक झलक पाने को , मेरी आँखें नम रहा करती हैं<br>
मगर उससे मिलने का, मेरे दिल को इन्तज़ार नहीं है<br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
6,240
edits