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वह गरीब कैसे हो सकता कैसे कहतेµबेघर कहते बेघर है
धरती जिसका पलंग-बिछौना, महल मिला यह अंबर है
सभी जगह बारात की रातें और दीवाली घर-घर है
जिसकी आँखों में जलती हो आगµजलाने आग जलाने वाली ही
पानी नहीं बुझाने का हो, वह शायर क्या शायर है
मिटने वाली नहीं कथा हैµरामहै राम-जानकी, रावण की
जब तक भारत-लंका है यह और बीच में सागर है
पढ़नेवाला जान ही लेगा, लिखा ये किसका अक्षर है
मैंने ओढ़ा और बिछाया हैµसब है सब ऋतु में इसकोकैसे कहते मानुस का तनµफटीतन फटी, पुरानी चादर है
पहले बसा, बसाना सीखोµसुन्दरता सीखो सुन्दरता को आँखों में
फिर देखोगे दुनिया की हर चीज निराली सुन्दर है
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