भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=फुर्सत में आज / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
रस्म-ए-उल्फत निभा के देख लिया
हमने भी दिल लगा के देख लिया
सुनते आये थे आग का दरिया
खुद जले, दिल जला के देख लिया
उनकी दुनिया में उनकी महफ़िल में
एक दिन, हमने जाके देख लिया
दर्द भी, कम हसीँ नही होते
बे-सबब मुस्करा के देख लिया
उनका हर जुल्म, प्यार होता है
चोट पर चोट खा के देख लिया
इश्क ही अब है बंदगी अपनी
उनको यजदां बना के देख लिया
उनको ‘आनंद’ ही नही आया
हमने खुद को मिटा के देख लिया
यजदां = खुदा
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=फुर्सत में आज / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
रस्म-ए-उल्फत निभा के देख लिया
हमने भी दिल लगा के देख लिया
सुनते आये थे आग का दरिया
खुद जले, दिल जला के देख लिया
उनकी दुनिया में उनकी महफ़िल में
एक दिन, हमने जाके देख लिया
दर्द भी, कम हसीँ नही होते
बे-सबब मुस्करा के देख लिया
उनका हर जुल्म, प्यार होता है
चोट पर चोट खा के देख लिया
इश्क ही अब है बंदगी अपनी
उनको यजदां बना के देख लिया
उनको ‘आनंद’ ही नही आया
हमने खुद को मिटा के देख लिया
यजदां = खुदा
</poem>