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{{KKRachna
|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=फुर्सत में आज / आनंद कुमार द्विवेदी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
न दर्द न दुनिया के सरोकार लिखूंगा
ख़त लिख रहा हूँ तुमको सिर्फ प्यार लिखूंगा
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा
हर ख्वाब लिखूंगा, हर ऐतबार लिखूंगा
पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो
वो भाव ही लिक्खूंगा वही प्यार लिखूंगा
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा
गर नाम भी लूँगा, तो ‘यादगार’ लिखूंगा
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद
मैं एक - एक कर, उन्हें बेकार लिखूंगा
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी
‘आनंद’ लिखूंगा या अदाकार लिखूंगा
</poem>
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|रचनाकार=आनंद कुमार द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=फुर्सत में आज / आनंद कुमार द्विवेदी
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<poem>
न दर्द न दुनिया के सरोकार लिखूंगा
ख़त लिख रहा हूँ तुमको सिर्फ प्यार लिखूंगा
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा
हर ख्वाब लिखूंगा, हर ऐतबार लिखूंगा
पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो
वो भाव ही लिक्खूंगा वही प्यार लिखूंगा
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा
गर नाम भी लूँगा, तो ‘यादगार’ लिखूंगा
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद
मैं एक - एक कर, उन्हें बेकार लिखूंगा
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी
‘आनंद’ लिखूंगा या अदाकार लिखूंगा
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