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खत लिख रहा हूँ तुमको / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
न दर्द न दुनिया के सरोकार लिखूंगा
ख़त लिख रहा हूँ तुमको सिर्फ प्यार लिखूंगा
तुम गुनगुना सको जिसे , वो गीत लिखूंगा
हर ख्वाब लिखूंगा, हर ऐतबार लिखूंगा
पत्थर को भी भगवान, बनाते रहे हैं जो
वो भाव ही लिक्खूंगा वही प्यार लिखूंगा
दुनिया से छिपा लूँगा, तुम्हें कुछ न कहूँगा
गर नाम भी लूँगा, तो ‘यादगार’ लिखूंगा
सौ चाँद भी देखूं जो, तुझे देखने के बाद
मैं एक - एक कर, उन्हें बेकार लिखूंगा
अपने लिए भी सोंचना है मुझको कुछ अभी
‘आनंद’ लिखूंगा या अदाकार लिखूंगा