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सचमुच बहुत देर तक सोए / मुकुट बिहारी सरोज
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19:08, 8 सितम्बर 2017
लोगों के इतिहास बन गए
तुमने सब सम्बोधन खोए ।
'''किनारे के पेड़ नामक काव्य-संग्रह से'''
</poem>
अनिल जनविजय
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