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'{{KKCatGhazal}} <poem> जब कभी मिला करो कुछ कहा सुना करो हुस्न की...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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जब कभी मिला करो
कुछ कहा सुना करो

हुस्न की शिकायतें
इश्क़ से किया करो

बाँट कर किसी के ग़म
राहतें दिया करो

कह के सोचना नहीं
सोचकर कहा करो

मुफ़्त कुछ न लो कभी
कीमतें दिया करो

इक फ़क़ीर कह गया
बंदगी किया करो

मंज़िलों की चाह में
रात-दिन चला करो

नेमतें हुईं अता
शुक्र तो अदा करो

है नहीं 'रक़ीब' वो
प्यार से मिला करो
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