गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
प्रिय जब तुम पास थे! / कविता भट्ट
4 bytes added
,
03:35, 2 मई 2018
प्रिय जब तुम पास थे।
उष्ण
तप्त
अधर
,
स्पर्श को व्याकुल,
किन्तु नैनों में कुछ संकोच-चपल!
हृदय-ध्वनि सकुचाई, किन्तु साहसी-प्रेम के
उच्छवास
उच्छ्वास
थे।
प्रिय जब तुम पास थे।
वीरबाला
4,963
edits