928 bytes added,
05:09, 29 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया आप का
हम पे रहमो करम जो हुआ आपका
आ दरे फैज पर ये तजुर्बा हुआ
आप उस के हुए जो हुआ आप का
आप की रहनुमाई में बढ़ते रहें
हर कदम पर मिले मश्विरा आप का
नूर भरते रहो लेखनी में मेरी
हाथ सर पर रहे मुस्तफा आप का
बेसहारा हैं जो भी भटकते यहाँ
उन सभी को मिले आसरा आप का
</poem>