भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category: ताँका]]
<poem>
1'''तुम क्या जानो'''मन क्यों था व्याकुलदुःख तुम्हारारोम-रोम में छायाजीभर था रुलाया।2अधर छुएउठी सिन्धु-तरंगउद्दीप्त मनप्राण बाँसुरी हुएरोम-रोम झंकृत।3देखा जो चन्द्रबौरा गई लहरव्याकुल बड़ीचूमने को तत्परमुझे लगा-तुम हो।4अधर चूममन व्यथा जो रहीवो कथा कहीदिल में जो दबी थीबरसों से आग-सी।5गले लगायानभ का वह चाँदधरा पे आयाबाहों में लिपटायानहीं कसमसाया।-0-
</poem>