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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
माँ ने झुक कर पेशानी को चूम लिया
हाथ थाम कर हृदय हवा का झूम लिया

उड़ते रहे स्वप्न के पंछी नयनों में
सोये सोये सारी दुनियाँ घूम लिया

देख बया ने चाँद सितारों जुगनू को
हाथों में ज्यों अग्निखण्ड निर्धूम लिया

रावण की लंका में आग लगानी थी
वानर बन कर शस्त्र रूप निज लूम लिया

शाश्वत रचना का संकल्प लिया जब भी
साथ हुनरमंदों का एक हुजूम लिया

</poem>