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06:38, 3 जून 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
|अनुवादक=
|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
आसमां का चमकता सितारा बनो
जुगनुओं बन सको तो शरारा बनो।
गुलसितां को उमीदें हैं तुमसे बहुत
टहनियों पर उगो गुलहज़ारा बनाओ।
मकसदे-ज़िन्दगी को न भूलो कभी
बेसहारों कक सच्चा सहारा बनो।
जी लिए रह के चुप बदतरी में बहुत
अब ज़माना बदलने का नारा बनो।
दौरे-ज़ुल्मत मिटाने की तहरीक में
रौशनी बांटने का एदारा बनो।
काम आएंगे इक-दूसरे के बहुत
हम तुम्हारे बनें तुम हमारा बनाओ।
गुफ्तगू कब ज़बानों की मुश्किल हुई
अपनी बातों का बस इक इशारा बनो।
</poem>