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15:05, 9 जुलाई 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
जिन्दगी आती है
रोती, बिलखती, हँसती, खिलखिलाती
शोर मचाती
किन्तु मौत
दबे पाँव, खामोशी से
बिन कहे बिन बुलाये
आकर गुजर जाती है
</poem>