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मीना कुमारी के लिए / कुमार मुकुल
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|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=सभ्यता और जीवन
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<poem>
दर्द
तुम्हारी आंखों में नहीं
हमारी रगों में होता है
छू देती हैं निगाहें
उभर आता है दर्द
फफोले-फफोले।
</poem>
Kumar mukul
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