गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सफ़ेद रात को / आन्ना अख़्मातवा / अनिल जनविजय
1 byte added
,
21:52, 21 मार्च 2020
किरणों का प्रकाश अन्धेरे में खो रहा है
तेरे स्वरों की जैसे आवाज़ गूँज रही है
आवाज़ के नशे में
सूर्यास्त
मेरा ध्यान
खो रहा है
मुझे पता था कि मैं सब कुछ गवाँ चुकी हूँ
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,423
edits