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तुम्हारी याद छाँव है / अंकित काव्यांश
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02:20, 3 अगस्त 2020
तुम कहो तो एक बात आज मैं कहूँ।
फर्क
फ़र्क़
ही नही कि डूब जाऊं या रहूँ।
अब तुम्हारा साथ ही नदी है नाव है।
आस पास प्यास का नगर बसा लिया
फिर तुम्हे नगर का राजपाठ दे दिया
जिंदगी का
आखिरी
आख़िरी
यही तो दाँव है।
</poem>
Abhishek Amber
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