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05:39, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
फूलों पे तबस्सुम नहीं रहता हर दम
क्यों उन पर हो दस्ते-गुलचीं का सितम
मजबूरी बागबां की कोई भी हो ख्वाह
होने न दे निज़ामे-गुलशन बरहम।
</poem>