549 bytes added,
05:55, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें
नश्शे में बदे-ऐ'मालियों के भी झूमें
बस दाग़े-नदामत से बचें, वैसे तो
बद कौन नहीं आलमे-रंगों-बू में।
</poem>