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हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें / रमेश तन्हा

 
हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें
नश्शे में बदे-ऐ'मालियों के भी झूमें
बस दाग़े-नदामत से बचें, वैसे तो
बद कौन नहीं आलमे-रंगों-बू में।