भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें / रमेश तन्हा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
हम देश, विदेश में कहीं भी घूमें
नश्शे में बदे-ऐ'मालियों के भी झूमें
बस दाग़े-नदामत से बचें, वैसे तो
बद कौन नहीं आलमे-रंगों-बू में।