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तुम समुद्र-शिला / कविता भट्ट
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06:18, 12 जून 2021
कृतघ्न मत ठनो
नदी- से बनो ।
33
गंगा महान
अमित प्रताप है
करें सम्मान।
34
झरती रहे
आशीष धरा पर
धरती रहे।
35
अमृतदान
प्रत्येक बूँद है री
गंगा महान।
36
मोक्षदायिनी
पुनः- पुनः जन्म लूँ
तेरी ही धरा
</poem>
वीरबाला
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