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18:21, 27 सितम्बर 2021
तो धरा मधुबन
खिलते उपवन ।
-0-5दोनों नदियाँवादियों में पहुँचीबनती एक धाराअश्रु बहतेछलकी ज्यों अँखियाँदु:ख सब कहतीं ।6पालने मुन्नीमाँ लोरियाँ सुनाएमीठी निंदिया आएयादों में सुनेलोरियाँ माँ का मनदिखता बचपन ।7श्वेत व श्यामदो रंग दिन–रातअश्रु और मुस्कान,साथ–दोनों कायहाँ पल–पल काखेलें एक आँगन ।8तेरी अँखियाँज्यों ही रुकीं आकरमन–दहलीज पे,हुआ उजालाजगमगाए दीएमेरे मन–आँगन ।
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