1,267 bytes added,
06:12, 31 मार्च 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=संतोष अलेक्स
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
अचानक लाईट चली गई
मोमबत्ती जलाने की कोशिश में
हाथ जल गया
मोमबत्ती की रोशनी में
हाथ की छोटी, बड़ी
हल्की, गहरी रेखाएँ दिखाई दीं
जिनमें यादें पिरोई हुई थीं
बीज की
मिट्टी की
गिल्ली डंडा खेलने की
नन्हें की स्निग्ध स्पर्श की
पहली बार झूठ बोलने की
विदा करने पर बहन के गर्म
आलिंगन की
टूटे खपरैल की
हथेली की रेखाएँ
शायद बढी हों या
धुंधली हो गई हों
मगर घटनाएँ सच हैं
इसे औरों के संदर्भ में
परखना मत
चूंकि मेरा सच अपना है
</poem>