भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरा सच अपना है / संतोष अलेक्स
Kavita Kosh से
अचानक लाईट चली गई
मोमबत्ती जलाने की कोशिश में
हाथ जल गया
मोमबत्ती की रोशनी में
हाथ की छोटी, बड़ी
हल्की, गहरी रेखाएँ दिखाई दीं
जिनमें यादें पिरोई हुई थीं
बीज की
मिट्टी की
गिल्ली डंडा खेलने की
नन्हें की स्निग्ध स्पर्श की
पहली बार झूठ बोलने की
विदा करने पर बहन के गर्म
आलिंगन की
टूटे खपरैल की
हथेली की रेखाएँ
शायद बढी हों या
धुंधली हो गई हों
मगर घटनाएँ सच हैं
इसे औरों के संदर्भ में
परखना मत
चूंकि मेरा सच अपना है