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<poem>
रिश्तों की तुरपाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ
उधड़ी कोई सिलाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ

जोड़ तोड़ की फेहरिस्तों में
कितने नाम जुड़े अब तक
समाधानों का रस्ता सीधा
कितनी बार मुड़े अब तक

रस्तों की अगुवाई बाक़ी
तुम कर दो या मैं करूँ

यूँ ही कितनी उम्र बिताई
वादों और विवादों में
सही अर्थ तो समझ न पाए
शब्दों के अनुवादों में

संधि की दुहाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ

घाटे का सौदा न होगा
रूठों को मनाने में
घड़ी पलों का फर्क ही रहता
बिगड़ी बात बनाने में

शिकवों की सुनवाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ

मन की खिड़की खोल के देखो
मौसम कितना रीझा सा
कल तक जो था तपता झुलसा
आज तो अम्बर भीगा सा

सावन की रिहाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ

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