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रिश्तों की तुरपाई बाकी / शशि पाधा
Kavita Kosh से
रिश्तों की तुरपाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ
उधड़ी कोई सिलाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ
जोड़ तोड़ की फेहरिस्तों में
कितने नाम जुड़े अब तक
समाधानों का रस्ता सीधा
कितनी बार मुड़े अब तक
रस्तों की अगुवाई बाक़ी
तुम कर दो या मैं करूँ
यूँ ही कितनी उम्र बिताई
वादों और विवादों में
सही अर्थ तो समझ न पाए
शब्दों के अनुवादों में
संधि की दुहाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ
घाटे का सौदा न होगा
रूठों को मनाने में
घड़ी पलों का फर्क ही रहता
बिगड़ी बात बनाने में
शिकवों की सुनवाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ
मन की खिड़की खोल के देखो
मौसम कितना रीझा सा
कल तक जो था तपता झुलसा
आज तो अम्बर भीगा सा
सावन की रिहाई बाकी
तुम कर दो या मैं करूँ
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