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माँ / कल्पना मिश्रा

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माँ
बचपन की यादें तुम हो
जीवन की पहली बातें तुम हो
जब तुम रोटियाँ बनाती
मानों पूरा संसार रचती थी
हमारे लिये तुम्हारी कही हर बार सच थी
चाहे वो परियों की कहानी हो,
या हो
तुम्हारी ही यादों से निकली कोई बात
तुम्हारे हाथो में, तुम्हारी बातों में
तुम्हारी मुस्कान में
काम के बाद की थकान में
हम सब में खूश रहते थे
भरे-पूरे रहते थे ।
माँ तुम ईश्वर हो
हमारे लिये ।।
</poem>