गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अनुभूति / सुषमा गुप्ता
499 bytes added
,
04:44, 11 अप्रैल 2023
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं तुम्हें देखते हुए
यह कहना चाहती थी
कि तुम दुनिया के
सबसे सुंदर पुरुष हो
पर मैंने तुम्हारी आँखों में देखा
और जाना
कि दरअसल
मेरी आँखों ने
तुम्हारी बाहरी सुंदरता को
कभी देखा ही नहीं है।
-0-
</poem>
वीरबाला
5,162
edits