भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनुभूति / सुषमा गुप्ता
Kavita Kosh से
मैं तुम्हें देखते हुए
यह कहना चाहती थी
कि तुम दुनिया के
सबसे सुंदर पुरुष हो
पर मैंने तुम्हारी आँखों में देखा
और जाना
कि दरअसल
मेरी आँखों ने
तुम्हारी बाहरी सुंदरता को
कभी देखा ही नहीं है।
-0-